Bhalei Mata Temple Chamba

चंबा जिले के एतिहासिक मंदिरों में से एक भद्रकाली माता के मंदिर का नाम यहां बसे छोटे से गांव भलेई के नाम पर पड़ा है। देश के कोने-कोने से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। आम दिनों के मुकाबले नवरात्रि में दर्शनार्थियों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। माता भद्रकाली में असीम आस्था रखने वाले लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
भद्रकाली भलेई मंदिर का रोचक इतिहास डलहौजी से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर स्वयंभू प्रकट मां भलेई का मंदिर है। कहा जाता है कि भद्रकाली मां भलेई भ्राण नामक स्थान पर स्वयंभू प्रकट हुई थीं और चंबा के राजा प्रताप सिंह द्वारा मां भलेई के मंदिर का निर्माण करवाया गया। 60 के दशक तक यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। इसके बाद मां भलेई की एक अनन्य भक्त दुर्गा बहन को मां भलेई ने स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया था कि सबसे पहले दुर्गा बहन मां भलेई के दर्शन करेंगी, जिसके बाद अन्य महिलाएं भी मां भलेई के दर्शन कर सकती हैं। कहा जाता है कि एक बार चोर मां भलेई की प्रतिमा को चुरा कर ले गए थे। चोर जब चौहड़ा नामक स्थान पर पहुंचे तो एक चमत्कार हुआ। चोर जब मां की प्रतिमा को उठाकर आगे की तरफ बढ़ते तो वे अंधे हो जाते और जब पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें सब कुछ दिखाई देता। इससे भयभीत होकर चोर चौहड़ा में ही मां भलेई की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए थे। बाद में पूर्ण विधि विधान के साथ मां की दो फीट ऊंची काले रंग की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। माना जाता है कि मां जब प्रसन्न होती हैं तो प्रतिमा से पसीना निकलता है। पसीना निकलने का यह भी अर्थ है कि मां से मांगी गई मुराद पूरी होगी।

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